वॉइस ऑफ एडुकेटर आज शिक्षा-शिक्षण के प्रतिमान बदल गए हैं,
विद्यार्थियों को पढ़ाने के
सामान बदल गए हैं।
पुरानी शिक्षण पद्धतियां
अब नही चलेगी,
शिक्षण अधिगम के
सिद्धांत बदल गए हैं।
जी हाँ दोस्तों ये तो हम सभी को पता है कि आज की शिक्षण व्यवस्था वो नही रही जो कुछ समय पहले तक चल रही थी।
वक़्त के साथ-साथ डिजीटल शिक्षा के महत्व को स्वीकारा गया, शिक्षण के लिए कम्पयूटर, इन्टरनेट का प्रयोग बढ़ने लगा। कोरोना महामारी के दौरान हुए लॉक डाउन और न्यू एडुकेशन पॉलिसी के लागू होने के साथ-साथ शिक्षा जगत के सामने जहां एक और कई चुनौतियाँ सामने आयी वहीं डिजिटल प्लेटफॉर्म ने एक महत्व पूर्ण भूमिका निभाई। कक्षाओं में पढ़ाने वाला अध्यापक अब ज़ूम,गूगलमीट, माइक्रोसॉफ्ट,गूगल क्लास,काहूत, पेडलेट आदि के साथ टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर टेक्नोसेवी बन गया। हाइब्रिड लर्निंग ब्लेंडिड टीचिंग के द्वारा शिक्षण जगत में एक क्रांति सी आ गई।
वर्तमान समय में शिक्षा-शिक्षण व्यवस्था सिर्फ पाठ्यक्रम पूर्ण कराने तक सीमित नही रह गयी।
आज एक शिक्षक का उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना है।
अब वक्त आ गया है कि विद्यार्थी की क्षमताओं को पहचान कर गतिविधियों के माध्यम से, खेल-खेल में कला से जोड़ते हुए,उन्हें संस्कृति से जोड़ कर उनकी रचनात्मकता और तार्किकता को बढ़ाया जाए।मैं समझती हूं कि कक्षाओं में विषय को पढ़ाते समय हॉवर्ड गार्डनर की मल्टीपल इंटेलिजेंस थ्योरी का प्रयोग करके विद्यार्थियों के गायन,गणित,तर्क, अभिव्यक्ति कौशल,वाचन कौशल,व्यक्तिगत,पारस्परिक सहयोग द्वारा सीखना,प्रकृति से सीखना आदि कौशलों को विकसित करना जरूरी है।
आज की मांग यही है कि एक विषय को पढ़ाते समय उसे दैनिक जीवन से जोड़ा जाए साथ ही साथ अन्य विषयों से जोड़ कर विद्यार्थियों के ज्ञान को समृद्ध किया जाए।अनुभवात्मक गतिविधियों का कराना बहुत जरूरी है जिससे बच्चे विषय को रटे बिना क्रियाकलापों द्वारा अपने अनुभवों से ही सीख लें,साथ ही साथ व्यवसायिक शिक्षण के अंतर्गत बच्चे अपनी रुचि के अनुसार वोकेशल कोर्सेज़ को चुन कर अपने भविष्य को उज्ज्वल बना सकें अध्यापक होने के नाते ऑनलाइन बुक रीडिंग,आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग और ऍप्स का प्रयोग कर बच्चों की क्रिटिकल थिंकिंग को बढ़ाया जाए इसके साथ ही उनमें सामाजिक और भावनात्मक कौशलों का विकास करना चाहिए।
मीनाक्षी मोहन
शेम्फोर्ड फ्यूचरिस्टिक स्कूल, पिंजौर